आपातकाल के दौरान जारी जल बंटवारे संबंधी अध्यादेशों पर केंद्र सरकार पुनर्विचार करे: प्रो. सरचंद सिंह ख्याला

अमृतसर, पंजाब। भारतीय जनता पार्टी पंजाब के प्रदेश प्रवक्ता प्रो. सरचंद सिंह ख्याला ने आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर 1975 की आपातकालीन अवधि के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा जारी सभी अध्यादेशों की समीक्षा एवं संशोधन की मांग की है। उन्होंने इन अध्यादेशों को भारतीय संविधान की मूल भावना और संघीय ढांचे का उल्लंघन बताया। विशेष रूप से उन्होंने 24 मार्च 1976 को जारी उस अध्यादेश पर गंभीर आपत्ति जताई, जिसके तहत पंजाब की नदियों के जल का अनुचित और असंवैधानिक ढंग से वितरण किया गया था।
प्रो. ख्याला ने कहा कि यह अध्यादेश पंजाब के इतिहास के सबसे विवादास्पद मुद्दे — सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) — की नींव बना और यही 1980 के दशक में पंजाब में आरंभ हुई त्रासदी का एक प्रमुख कारण भी बना। उन्होंने स्पष्ट किया कि जल अधिकार संविधान की सातवीं अनुसूची और अनुच्छेद 246 के अंतर्गत राज्य सूची का विषय है। इसके बावजूद, तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पंजाब पुनर्गठन अधिनियम की धाराओं 78, 79 और 80 का दुरुपयोग करते हुए पंजाब के जल अधिकारों को हड़प लिया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने 14 दिसंबर 2020 को अपने निर्णय में आपातकाल को “देश के लिए अनावश्यक” बताया था। उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने भी हाल ही में आपातकाल की तीव्र आलोचना की है।
प्रो. ख्याला ने कहा, “कोई भी भारतीय यह नहीं भूल सकता कि आपातकाल के दौरान नागरिक स्वतंत्रताओं को निलंबित कर दिया गया, प्रेस की आज़ादी को कुचल दिया गया, संसद और न्यायपालिका को नियंत्रित किया गया, संघीय ढांचे को कमजोर किया गया और मानवाधिकारों का गंभीर हनन हुआ।”
उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में पंजाब की लगभग 70% सिंचाई ज़रूरतें भूमिगत जल पर आधारित हैं, जिसके कारण प्रदेश के 80% से अधिक ब्लॉक ‘डार्क ज़ोन’ घोषित किए जा चुके हैं। यदि जल बंटवारे से जुड़ी अन्यायपूर्ण नीतियों को सुधारा नहीं गया, तो भविष्य में पंजाब एक और बड़े संकट का सामना कर सकता है। अंत में, प्रो. सरचंद सिंह ख्याला ने आपातकाल के खिलाफ संघर्ष करने वाले प्रत्येक भारतीय को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि अब ऐतिहासिक अन्यायों को सुधारने का समय आ चुका है। उन्होंने आग्रह किया कि आपातकाल के दौरान जारी असंवैधानिक अध्यादेशों में संशोधन कर, पंजाब को उसके नदियों के जल पर न्यायोचित अधिकार पुनः प्रदान किया जाए — जैसा कि संविधान की मूल भावना में निहित है।

विक्रम शर्मा
अमृतसर, पंजाब, ब्यूरो रिपोर्ट
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